क्या मस्त कोमल चूचियाँ थी उसकी।

जैसा कि आप जानते हैं कि सेक्स की भूख कभी कम नहीं होती। यही हाल मेरा था। मोना, उसकी दीदी और भाभी को चोदने के बाद में नए साथी की तलाश कर रहा था। कहते हैं ना कि जहाँ चाह होती है रास्ते अपने आप निकल आते हैं। मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। मैं अब आपके सामने अपना नया अनुभव रख रहा हूँ, कैसा लगा, मेल जरूर करियेगा।
बात उन दिनों की है जब मैं कोलज में था। मैंने कुछ सब्जेक्ट्स की कोचिंग लेनी थी सो मैंने एक कोचिंग सेंटर में प्रवेश ले लिया और पढ़ने लगा। वहाँ काफी लड़के और लड़कियाँ पढ़ने आते थे और मेरी आदत थी लोगों से दोस्ती करने की, तो जल्द ही सभी लोगों से मेरी दोस्ती हो गई।
मैं ठहरा सेक्स का भूखा, तो जाहिर है मेरी रुचि लड़कियों में ही ज्यादा थी। धीरे-धीरे मेरी दोस्ती लड़िकयों से बढ़ गई। उनमें से एक लड़की थी जो मेरे ज्यादा नजदीक आने लगी थी। मैं उसके घर भी जाने लगा था, उसके घर वाले मुझको अच्छी तरह से जानते थे। मेरा उसके घर आना जाना बढ़ने लगा और अब मैं रोज क्लास के बाद उसके साथ उसके घर जाता और घंटों हम लोग बातें करते रहते। बहुत सेक्सी लड़की थी वो, जब टी-शर्ट पहन कर आती थी तो उसके उभारों का क्या कहना ! ऐसा लगता था जैसे बड़े-बड़े पहाड़ हों। और नितम्ब बहुत मस्त लगते थे। शुरुआत में हमारी बातें सामान्य थी पर धीरे धीरे हम लोगों में नजदीकियाँ बढ़ने लगी। अब जब भी मैं उसके घर जाता हम लोग उसके कमरे में जाकर बैठ जाते, वहाँ कोई नहीं आता था तो हमको कोई चिंता नहीं थी। अब जब भी मैं वहाँ जाता वो मेरे घुटनों पर सर रख कर लेट जाती और हम बात करते। पर जब वो ऐसे लेटती थी तो मेरी नज़रें उसके कुरते के ऊपर और अंदर से उसके उभारों को ढूँढती रहती। मैं उसके सर को सहलाता रहता। इस अवस्था में कई बार मेरी नज़रें उसके उभारों के बीच की दरार के बीच अटक जाती। क्या मस्त स्तन थे उसके, बिल्कुल सीधे और बड़े बड़े।
एक दिन मैंने उससे कहा- तुम ऐसे मत लेटा करो, मेरी नियत ख़राब होती है।
तो वो बोली- कैसे?
तो मैंने उसके कुरते के गले की ओर इशारा करते हुए कहा- वहाँ से कुछ अंदर का दीखता है।
तो वो शरमा गई।
फिर जब मैं अगली बार उसके घर गया तो वो फिर वैसे ही लेट गई तो मैंने उससे वही बात कही तो वो बोली अगर नियत ख़राब होती है तो कर लो।
मुझको उससे ऐसी उम्मीद नहीं थी पर उसके मुँह से यह बात सुन कर मेरी तो जैसे निकल पड़ी।
मैंने कहा- सोच लो !
तो उसने सहमति में सर हिला दिया और वैसे ही आँखें बंद कर के लेटी रही। मेरा तो मेरी ख़ुशी पर काबू ही नहीं था। आज ऐसा मस्त माल मिला था चोदने को कि पूछो मत।
मैंने धीरे से अपने हाथ उसके कुरते के ऊपर से उसके उन्नत उभारों पर रखे और उनका जायजा लेने लगा। मेरे हाथों में उसके स्तन पूरे नहीं रहे थे। पर मैं धीरे-धीरे उनको ऊपर से दबाने लगा और वो कसमसाने लगी।
थोड़ी देर बाद मैंने उससे पूछा- क्या मैं अन्दर हाथ डाल लूँ?
तो उसने फिर सहमति में सर हिला दिया। मैंने उसके गले पर हाथ फेरते हुए अपना सीधा हाथ उसके कुरते के अन्दर डाल दिया और उसके दोनों स्तनों को बारी बारी से दबाने लगा। क्या मस्त कोमल चूचियाँ थी उसकी। मुझे उनको दबाने में बहुत ही मज़ा रहा था। फिर मैंने उसको बैठाया और उसके लाल होंठों पर हाथ फेरे। फिर धीरे से उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। अब हम लोग एक दूसरे के होंठों को चूस रहे थे। हमारी जीभ एक दूसरे के मुँह में घूम रही थी और मेरा एक हाथ उसकी पीठ पर और दूसरा उसके स्तन दबा रहा था। इसी मस्ती में मैंने अपना हाथ उसके कुरते के अन्दर डाल दिया और उसकी पीठ सहलाने लगा। मेरा हाथ बार बार उसके ब्रा के हूक पर जा रहा था।
मैंने उससे कहा- प्लीज, अपना कुरता उतार दो !
तो उसने मना कर दिया पर थोड़ा और बोलने पर वो तैयार हो गई। मैंने धीरे से उसका कुरता उतार दिया। उसके ऊपर के शरीर पर सिर्फ एक ब्रा थी। मैंने उसको बिस्तर पर लेटा दिया और उस पर चढ़ गया। उसके उन्नत उरोज़ मेरे सीने पर लग कर बहुत अच्छा अनुभव दे रहे थे। हम लोग लगातार एक दूसरे को चूम रहे थे और मैं उसके पूरे शरीर पर हाथ फेर रहा था। कभी मैं उसके ऊपर कभी वो मेरे ऊपर।
करीब एक घंटे तक हम यही करते रहे। मेरा मन तो उसको चोदने का था पर उसका मूड इससे आगे जाने का नहीं था सो मैंने जोर नहीं दिया और यही खूबसूरत एहसास ले कर गया।
उससे मना तो कर दिया था पर मैंने उसको चोदने का मन बना किया था और इस काम के लिए मुझको क्या करना था मैं जानता था। अब रोज ही हम लोगो में ऐसी मस्ती होने लगी। 3-4 दिन बाद मैंने उसको कहा- मैं तुम्हें बिना कपड़ों के यानि नंगा देखना चाहता हूँ !
तो वो शरमा गई और अपने हाथों से अपना मुँह छुपा लिया।
मैंने उसके हाथों को हटा कर उसके चहरे को चूम लिया। रोज की तरह मैं उसका कुरता पहले ही उतार चुका था। मैंने धीरे से उसके ब्रा का हूक खोल दिया और उसके ब्रा को उसके शरीर से अलग कर दिया। उसके मोटे मोटे वक्ष मेरे सामने थे। मैंने फुर्ती से उनको पकड़ लिया और दबाने लगा। मैंने एक चुचूक अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगा। मुझको बहुत मज़ा रहा था और वो भी मस्ती में खोने लगी थी। मेरे हाथ उसके पूरे शरीर को टटोल रहे थे। उसकी जांघों, उसके नितम्बों और उसकी चूत को भी मैं सहला रहा था। वो मस्ती से चूर हो रही थी और अब उसके चूतड़ भी उछल रहे थे। मुझको इतना अनुभव तो था हो अगर लड़की अपने चूतड़ उछालने लगे तो समझो लड़की चुदाई के लिए पूरी तरह से तैयार है।
  BY   .......mithismart79@gmail.com

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